Monday, November 10, 2014

ख्यालों की परी

ख्यालों की परी 

अगर घबराओ तो
पालने में घुंघरूं बाँध दूँ

अगर रोओ तो
मिश्री घोल कर चटकार दूँ

अगर चाहो तो
थपकी मार कर सुला दूँ

अगर बैठो तो
तकिये का सरहाना बना दूँ

अगर मांगो तो
चाँद का टुकड़ा आँक दूँ

अगर छुपो तो
छुप कर तेरा साथ दूँ

अगर सोओ तो
नन्हीं ज़ुल्फ़ें सँवार दूँ

अगर चलो तो
ऊँगली का सहारा दूँ

अगर गिरो तो
छिले घुटनों को फूंक दूँ

अगर हंसों तो
तुम्हारी नज़र उतार दूँ

अगर आओ तो
ज़िन्दगी न्यौछार दूँ

मगर आओ तो


4/7/2001




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