Friday, November 14, 2014

चिंगारी

चिंगारी 


दिल की अँगीठी को
फूँकना है
अपने फ़ेफ़ड़ों से

गर्म अँगारों की
राख़ पोंछनी है
अपनी हथेलियों से

तेल माथे का
डालना होगा
घी जिस्म का
उड़ेलना होगा

बीज शाख़ से
टूटेंगे जब
चिंगारी हवा से
लिपटेगी तब

गंन्ध हौले से
छाने लगेगी
रात हौले से
जाने लगेगी

सूरज उठ के
खुद आएगा
चिंगारी का सेक
ले जायेगा


1999


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