Saturday, November 15, 2014

तलाश

तलाश 

जो पत्थर जोंटे
पिट्ठू के ढेर में
जो कन्चे बटोरे
मुट्ठी भर, जेब में

लूटी थी जो
पतंग मुँडेर पे
छीला था जो
लव्ज़ पेड़ पे

तोड़े थे जो
बेर खेत में
पाई थी जो
सींपी रेत में

गाड़ ख़ज़ाने
दूर गया मैं
किधर गए सब
भूल गया मैं



12/9/1999



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