जब तुम आये थे
कलियाँ मुस्कुराईं थींपेड़ गुनगुनाये थे
फिर तिनके बटोर कर
पंछिओं नें घर बनाये थे
क्या जोश था हवाओं में
बादलों ने नीर बरसाए थे
मंज़िलें थम गयीं थीं
पैर डगमगाए थे
बुलंद हौंसले परस्त हुए
हम खुद से घबराये थे
ये जुनूँ था आँखों में
नए रस्ते दिखलाये थे
जब तुम आये थे
4/7/2001
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