Saturday, November 15, 2014

पैगाम

पैगाम 

दिन गर्द
पर धुली रात

वक़्त कम
तो खुली बात

सुर्ख धूल
में घुड़सवार

ताप शूल
हर पैगाम

छुएँ ग़म
रूह लहूलुहान


4/26/2000

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