Saturday, November 15, 2014

दोपहर

दोपहर 

कबूतर - डेरा
चितकबरा
चुगे अनाज
मुँडेर पे

कुछ सपने
दोपहरी नींद के
मेहकें
पकें दसेहरी से

आटा
ढकी परात का
ख़मीरे
गर्म रसोई में

च्यूँटी - लकीर
दीवार पे
चली शक्कर को
ढूंढनें


6/19/1999

1 comment:

Unknown said...

Bahut khoob Anu, keep writing more, it is in the family.