चिंगारी
दिल की अँगीठी को
फूँकना है
अपने फ़ेफ़ड़ों से
गर्म अँगारों की
राख़ पोंछनी है
अपनी हथेलियों से
तेल माथे का
डालना होगा
घी जिस्म का
उड़ेलना होगा
बीज शाख़ से
टूटेंगे जब
चिंगारी हवा से
लिपटेगी तब
गंन्ध हौले से
छाने लगेगी
रात हौले से
जाने लगेगी
सूरज उठ के
खुद आएगा
चिंगारी का सेक
ले जायेगा
1999
No comments:
Post a Comment