ख्यालों की परी
अगर घबराओ तोपालने में घुंघरूं बाँध दूँ
अगर रोओ तो
मिश्री घोल कर चटकार दूँ
अगर चाहो तो
थपकी मार कर सुला दूँ
अगर बैठो तो
तकिये का सरहाना बना दूँ
अगर मांगो तो
चाँद का टुकड़ा आँक दूँ
अगर छुपो तो
छुप कर तेरा साथ दूँ
अगर सोओ तो
नन्हीं ज़ुल्फ़ें सँवार दूँ
अगर चलो तो
ऊँगली का सहारा दूँ
अगर गिरो तो
छिले घुटनों को फूंक दूँ
अगर हंसों तो
तुम्हारी नज़र उतार दूँ
अगर आओ तो
ज़िन्दगी न्यौछार दूँ
मगर आओ तो
4/7/2001
No comments:
Post a Comment