तड़का
कॉलेज के कुछ किस्से
बासे नहीं होते
कच्चे मज़ाक़ का नींबू निचोड़ो
हसीं का हल्का सा नमक छिड़को
फिर उन्हें तड़का लगा के दोहराओ
तो एक छोटी सी याद भी
खोमचे की टिक्की की तरह
चटपटी हो जाती है
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गप-शप
पुराने जूतों की जोड़ी
जो पैरों में घिस के ढल जाती है
कालेज की फटी हुई टी-शर्ट
जो अब भी फेंकी नहीं जाती है
धुँधली फ़ोटोएँ -"स्कैन" की हुईं
जो हाथों में फिर चमक जाती हैं
मीठी गालियों की एक गिलौरी
जो ज़ुबान पे ताज़ा हो जाती है
बचपन के दोस्तों से गप-शप
यूँ ही दिल को बहलाती है
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दो नस्लें
कुछ दोस्त मिलते हैं
सिर्फ़ एक हिसाब लेने के लिए:
देखो मेरा ओहदा !
मैं हूँ कितना महान
देखो मेरा मकान!
है कितना आलीशान
मेरी शोहरत फैली है - दूर दूर
है दुनिया मेरी मुट्ठी में - चूर चूर
और अब बताओ
तुम कैसे हो?
कुछ और दोस्त हैं
जो अलग ही हिसाब रखते हैं:
कहो, कैसी कटी ज़िन्दगी?
बताओ कुछ अपनी, कुछ अपनों की
सपने जो टूटे - उनका बताओ
अपने जो छूटे - उनका बताओ
जो जानते हैं हमें बचपन से
हमारी हंसी, खुशी और डर
पहचानते हैं हमें - हमसे बेहतर
कहो, कैसा रहा रस्ता?
कहाँ गिरे, कहाँ लगी चोट
क्या खोया, क्या लुटाया
क्या था सच, क्या खोट
जो दर्द का हिसाब
हम खुद से ना कर पाते हैं
वह दोस्त करवा देते हैं
इन दोस्तों के आईने में
हम उनके और वह हमारे
अक्स को पहचान लेते हैं
जब दुनिया के चक्कर में
हम खुद से खो जाते है
तो एक बचपन का दोस्त ही
याद दिलाता है:
यार - तू ऐसा ना था
क्यों क्या हुआ?
छोड़ यह दिखावा
बता, हाल क्या है?
April 17, 2023